Saturday, October 5, 2024

डाटा विश्लेषण का इतिहास .

डाटा विश्लेषण का इतिहास बहुत पुराना है और इसका विकास धीरे-धीरे हुआ है। यह विज्ञान, गणित, और सांख्यिकी के गहन अध्ययन से विकसित हुआ, और आज यह तकनीक, कंप्यूटर विज्ञान और बड़े डेटा के युग में उन्नत हो गया है। यहाँ पर डाटा विश्लेषण के विकास का संक्षिप्त इतिहास दिया गया है:




1. प्राचीन युग (3000 ईसा पूर्व - 1700):

   - प्रारंभिक गणना और रिकॉर्डिंग: मानव सभ्यता के शुरुआती चरणों में ही डेटा रिकॉर्ड करने और विश्लेषण करने की आवश्यकता महसूस की गई थी। 

   

सुमेरियन और माया सभ्यता: ये सभ्यताएँ टैक्स और कृषि डेटा को रिकॉर्ड करने के लिए प्रारंभिक रूप से लेखन और गणना का उपयोग करती थीं।


अरबी और ग्रीक गणितज्ञ: गणित और ज्यामिति का उपयोग खगोलीय, वित्तीय, और अन्य डेटा का विश्लेषण करने के लिए किया गया।


प्राचीन मिस्र और बेबीलोनियन सभ्यता (3000 ईसा पूर्व): सबसे पुराने रूप में डेटा विश्लेषण कृषि उत्पादन, कर संग्रहण और जनसंख्या के प्रबंधन के लिए किया जाता था। मिस्र और बेबीलोन की सभ्यताएँ लेखन और गणना के शुरुआती रूपों का उपयोग करती थीं।


कौटिल्य का "अर्थशास्त्र": कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा रचित "अर्थशास्त्र" (लगभग 3री शताब्दी ई.पू.) में, व्यापार, कृषि, कर प्रणाली, जनसांख्यिकी और प्रशासन से संबंधित विस्तृत डेटा और विश्लेषण का उल्लेख किया गया है। इस ग्रंथ में राज्य संचालन के लिए संगठित आंकड़ों और डेटा का महत्व बताया गया है, जो डेटा एनालिटिक्स का एक प्रारंभिक रूप है।


 

2. आधुनिक सांख्यिकी का उद्भव (1700 - 1900):

   - सांख्यिकी का विकास: 18वीं और 19वीं सदी में आधुनिक सांख्यिकी का विकास हुआ। डेटा को इकट्ठा करना, व्यवस्थित करना, और उसका विश्लेषण करने की प्रणालियों का उपयोग बढ़ा।


   - अर्न्स्ट अभ्राहम और एडोल्फ क्विटलेट: इन वैज्ञानिकों ने सामाजिक आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए सांख्यिकीय विधियों का उपयोग किया, जिससे जनसंख्या, आर्थिक और स्वास्थ्य डेटा का अध्ययन किया गया।


   - कार्ल फ्रेडरिक गॉस: उन्होंने "सामान्य वितरण" (normal distribution) का सिद्धांत दिया, जो आधुनिक सांख्यिकी और डेटा विश्लेषण का आधार है।


     - 1686एडमंड हैली और जीवन बीमा गणना: एडमंड हैली, जो प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे, उन्होंने पहली बार जीवन बीमा के लिए जनसंख्या के आंकड़ों और मृत्यु दर की गणना का उपयोग किया। यह एक प्रारंभिक रूप था जिसमें उन्होंने डेटा विश्लेषण करके भविष्य की मृत्यु दर का अनुमान लगाया।


 3. कंप्यूटर युग की शुरुआत (1900 - 1970):

   - चार्ल्स बैबेज और शुरुआती कंप्यूटर: चार्ल्स बैबेज ने 19वीं शताब्दी में एनालिटिकल इंजन का आविष्कार किया, जो एक प्रोटो-कंप्यूटर था, जो डेटा को प्रसंस्कृत (process) करने के लिए एक प्रारंभिक कंप्यूटर की तरह था।


   - 1950s और 60s: पहले इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटरों का विकास हुआ, जिससे डेटा प्रोसेसिंग की क्षमता में क्रांति आई। अब बड़े पैमाने पर डेटा को तेज़ी से और कुशलतापूर्वक संसाधित किया जा सकता था।


   - डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली (DBMS): 1970 के दशक में रिलेशनल डेटाबेस सिस्टम (SQL) का विकास हुआ, जिसने डेटा को संरचित रूप से संग्रहीत और पुनर्प्राप्त करना आसान बना दिया।


 4. बड़े डेटा और बिजनेस इंटेलिजेंस (1980 - 2000):

   - व्यवसायों में डेटा का उपयोग: 1980 और 90 के दशक में, कंपनियों ने डाटा विश्लेषण को अपनाना शुरू किया ताकि वे व्यापारिक निर्णय बेहतर बना सकें। इससे बिजनेस इंटेलिजेंस (BI) और डेटा वेयरहाउसिंग की अवधारणा का उदय हुआ।


   - डेटा माइनिंग: 1990 के दशक में डेटा माइनिंग तकनीकों का विकास हुआ, जिसमें डेटा के बड़े सेट्स में पैटर्न और ट्रेंड्स को खोजना शामिल था।


   - OLAP (Online Analytical Processing): इस समय OLAP और ETL (Extract, Transform, Load) तकनीकों का विकास हुआ, जिसने डेटा विश्लेषण की प्रक्रिया को स्वचालित और बेहतर बनाया।


 5. बिग डेटा का युग (2000 - वर्तमान):


   - बिग डेटा: 2000 के दशक में इंटरनेट और डिजिटल दुनिया के प्रसार ने बिग डेटा का युग शुरू किया। अब डेटा का विशाल भंडार उपलब्ध था, जिसे संग्रहीत करना और विश्लेषित करना बड़ी चुनौती बन गया।


   - ओपन-सोर्स टूल्स: Apache Hadoop और Spark जैसी ओपन-सोर्स टूल्स ने बड़े डेटा के प्रोसेसिंग को संभव बनाया। इन टूल्स ने हजारों या लाखों गीगाबाइट्स डेटा को संसाधित करने की क्षमता दी।


   - मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: डेटा विश्लेषण में मशीन लर्निंग और AI का उपयोग करके स्वचालित निर्णय लेने और डेटा के पैटर्न्स को पहचानने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जाने लगा।


   - क्लाउड कंप्यूटिंग: डेटा विश्लेषण के लिए क्लाउड प्लेटफॉर्म जैसे AWS, Google Cloud, और Azure ने विश्लेषण को और भी आसान और सुलभ बना दिया है।


   - प्रेडिक्टिव और प्रिस्क्रिप्टिव विश्लेषण: अब डेटा विश्लेषण केवल यह बताने तक सीमित नहीं है कि "क्या हुआ", बल्कि यह भी बताने में सक्षम है कि "क्या होगा" और "क्या करना चाहिए"।


डेटा एनालिटिक्स से जुड़े दिलचस्प तथ्य:

हर दिन 2.5 क्विंटलियन बाइट्स डेटा उत्पन्न होता है: आज के डिजिटल युग में हम हर दिन लगभग 2.5 क्विंटलियन (2.5 quintillion) बाइट्स डेटा उत्पन्न कर रहे हैं। यह मात्रा इतनी अधिक है कि इसे संग्रहीत करने और विश्लेषण करने के लिए उन्नत तकनीकों की आवश्यकता होती है।

निर्णय लेने की गति डेटा एनालिटिक्स ने कंपनियों की निर्णय लेने की गति बढ़ाई: McKinsey की एक रिपोर्ट के अनुसार, डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करने वाली कंपनियाँ निर्णय लेने की गति में 5 से 6 गुना सुधार कर सकती हैं।

असंरचित डेटा 80% से अधिक डेटा असंरचित (Unstructured) होता है: अधिकांश डेटा जो हम उत्पन्न करते हैं, असंरचित होता है, जैसे सोशल मीडिया पोस्ट, वीडियो, ऑडियो, और इमेजेस। डेटा एनालिटिक्स के लिए इसे व्यवस्थित और विश्लेषित करना एक बड़ी चुनौती है।

डेटा एनालिटिक्स के बिना अमेज़न जैसी कंपनियों का मॉडल सफल नहीं होता: अमेज़न अपने ग्राहकों के खरीदारी पैटर्न का विश्लेषण करके उन्हें व्यक्तिगत उत्पाद सिफारिशें देता है। यह उनके बिजनेस मॉडल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनके मुनाफे का बड़ा कारण है।

प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स से भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जा सकता है: डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल न केवल वर्तमान या अतीत को समझने के लिए होता है, बल्कि यह भविष्य का अनुमान लगाने के लिए भी होता है। एयरलाइन्स और होटल जैसी कंपनियाँ इसका उपयोग मांग और कीमतों का पूर्वानुमान लगाने के लिए करती हैं।

कॉग्निटिव एनालिटिक्स (Cognitive Analytics): यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करता है ताकि मशीनें इंसानों की तरह सोच सकें और डेटा से स्वचालित निर्णय ले सकें। इसका उपयोग कई क्षेत्रों में हो रहा है जैसे चिकित्सा, बैंकिंग, और ऑटोमोबाइल।

No comments:

Post a Comment

सांख्यिकी का मुलभूत ज्ञान

  डेटा एनालिटिक्स में सांख्यिकी का मुलभूत ज्ञान बेहद आवश्यक है क्योंकि यह डेटा को व्यवस्थित, विश्लेषित, और सही ढंग से समझने में मदद करता है।...